उप राष्ट्रपति धनखड़ ने राजा महेंद्र प्रताप पर लिखी किताब का किया विमोचन

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने राजा महेंद्र प्रताप पर लिखी किताब का किया विमोचन

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर 2024: भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान लेकिन कम पहचाने गए नायक, राजा महेंद प्रताप की अविस्मरणीय विरासत को आज नई दिल्ली के भारत मंडपम, प्रगति मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। यह आयोजन भारत की पहली अंतरिम सरकार की स्थापना की 109वीं वर्षगांठ के अवसर पर किया गया, जिसे 1 दिसंबर 1915 को काबुल में राजा महेंद्र प्रताप ने स्थापित किया था।

राजा महेंद्र प्रताप फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति डॉ. जगदीप धनखड़ ने राजा महेंद्र प्रताप के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी योगदान को याद किया और उनकी सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने राजा महेंद्र प्रताप को स्वतंत्रता के संघर्ष में एक सच्चे पथप्रदर्शक के रूप में वर्णित किया। यदि आप हमारी स्वतंत्रता की नींव को देखते हैं, तो हमें बहुत अलग तरीके से सिखाया गया है। हमारी स्वतंत्रता की नींव राजा महेंद्र प्रताप सिंह और अन्य गुमनाम नायकों जैसे लोगों के सर्वोच्च बलिदानों पर बनी है, या इतने अच्छे ढंग से गाए गए नायक नहीं हैं। हमारी इतिहास की किताबों ने हमारे नायकों के साथ अन्याय किया है। हमारे इतिहास के साथ छेड़छाड़ की गई और छेड़छाड़ की गई, कुछ लोगों का एकाधिकार बनाया गया कि उन्होंने हमें आजादी दिलाई। यह हमारी अंतरात्मा पर असहनीय पीड़ा है। यह हमारी आत्मा और दिल पर बोझ है। और मुझे यकीन है कि हमें बड़ा बदलाव लाना होगा। 1915 में उस समय पहली भारत सरकार के गठन से बेहतर कोई अवसर नहीं था।

हम अपने इतिहास को उन लोगों को कृपालु, चाटुकार, क्रेडिट रेटिंग देकर पोषित नहीं कर सकते, जिन्होंने भूमिका निभाई, निश्चित रूप से लेकिन दूसरों के साथ भूमिका नहीं। हम अपने नायकों को छोटा करने की अनुमति नहीं दे      सकते। आज हम उनमें से एक की चर्चा कर रहे हैं, इस पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों के लिए देशभक्ति की भावना प्रज्वलित करने के लिए अप्रकाशित ऐतिहासिक वृत्तांतों को प्रस्तुत करना अनिवार्य है। कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. विवेक सिंह दद्वारा लिखित पुस्तक लास्ट किंग का विमोचन किया गया। यह पुस्तक राजा महेंद्र प्रताप के असाधारण जीवन को दर्शाती है, जिसमें उनके क्रांतिकारी प्रयास कूटनीतिक गतिविधियां और स्वतंत्र एवं एकीकृत भारत के प्रति उनकी अडिग दृष्टि को शामिल किया गया है। पुस्तक के विमोचन पर डॉ. सिंह ने कहा, 'राजा महेंद्र प्रताप केवल एक स्वतंत्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी राजनेता, समाज सुधारक और वैश्विक विचारक थे। उनका जीवन हमें धैर्य, दृष्टिकोण और न्याय के लिए निरंतर प्रयास का पाठ पढ़ाता है।"

109वीं वर्षगांठ के इस आयोजन में कई गणमान्य व्यक्ति, विद्वान और नीति निर्माता शामिल हुए, जिन्होंने इस महान नेता की विरासत पर विचार साझा किए। राजा महेंद्र प्रताप फाउंडेशन ने उनकी स्मृति को संरक्षित और प्रचारित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और शैक्षिक पहलों एवं जनजागरुकता कार्यक्रमों के माध्यम से उनके योगदान को बढ़ावा देने का वादा किया। भारत की पहली अंतरिम सरकार के राष्ट्रपति के रूप में राजा महेंद्र प्रताप ने स्वतंत्रता, एकता और समाज सुधार के आदर्शों के प्रति अटूट समर्पण का परिचय दिया। स्वतंत्रता के लिए अपने 32 वर्षों के निर्वासन के दौरान उन्होंने वैश्विक मंच पर भारत की आजादी के पक्ष में अपनी आवाज़ बुलंद की, जो उनकी असाधारण दृढ़ता का प्रमाण है। "राजा महेंद्र प्रताप की विरासत केवल अतीत की बात नहीं है। यह भविष्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन हमें उन बलिदानों और दूरदर्शी नेतृत्व की याद दिलाता है जिन्होंने आधुनिक भारत की नींव रखी।" डॉ. सिंह ने कहा कार्यक्रम का समापन इस आहवान के साथ हुआ कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों का सम्मान और उनकी कहानियों को जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास किए जाएं, ताकि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकें।